देखो न …..अभी मुझमे साँसों का आना जाना चल रहा है……जिंदगी के जैसे अभी कुछ लम्हें बचे हुवे है ….. आस का पंछी अभी तक पिंजरे में ठहरा है …. सुबह पर अब सांझ का पहरा है …. और सांझ की इस बेला पर याद आने लगीं है ..वो धुंधली परछाइयाँ ....जब हम संग संग रोये थे…. और इक दूजे के पौंछ आंसू खिलखिला कर हँस दिए थे .. साथ था न तुम्हारा मेरा, तो मलाल किस गम का … लेकिन विधाता को क्या मंजूर था ..छोड़ दी थी डोर उसने मेरी जिंदगी की पतंग की .. तुमसे दूर किसी और आसमां पर जा कर फडफडाती रही जिंदगी .. हवाओं में लहराती रही … बहती रही उधर जिधर बहाती रही …क्षितिज पर चटख रंगों वाली सुनहली अकेली पतंग .. कई हाथों को लुभाती रही … इतर हाथों से फिसलती रही ....डगमगाती रही, पर बढती रही .... तब तक जब तक वह हवाओं की प्रचंडता से टूट कर छिन्न भिन्न न हो जाये या कि बारिश में गल कर टपक ना जाये .. देखो न सिन्दूरी सांझ भी ढलने को है और रौशनी भी गुम होने को है बस तुमसे आखिरी बात …
शाम ढल रही है
पिंजरे में पंछी व्याकुल है
लौ भभक के जल रही है|
सागर पर लहरे ढह रही है
और
रात दस्तक दे रही है
पर अभी
उजाले का धुंधलका बाकी है
तेरे इंतजारी में रौशनी ठहरी सी है
तुझे रौशनी की किरणें छू जाएँ
तू आ जा |
….…डॉ नूतन गैरोला
उजाले का धुंधलका बाकी है
ReplyDeleteतेरे इंतजारी में रौशनी ठहरी सी है
तुझे रौशनी की किरणें छू जाएँ
तू आ जा |
बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,,,,,
MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि,,,,,सुनहरा कल,,,,,
सर्वेषाम् मंगलम् भवतु ...
ReplyDeleteआस अन्त तक रही अधूरी।
ReplyDelete101….सुपर फ़ास्ट महाबुलेटिन एक्सप्रेस ..राईट टाईम पर आ रही है
ReplyDeleteएक डिब्बा आपका भी है देख सकते हैं इस टिप्पणी को क्लिक करें
आपकी इस उत्कृष्ठ प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार 29/5/12 को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी |
ReplyDeleteChahe kuch bhi ho jaye aas ka daman to nahi choda jata...
ReplyDeleteShaandar ...
होता है यूँ ही दस्तक पर दस्तक , और खामोश रात ढ़ल जाती है ........
ReplyDeleteखुबसूरत भाव संयोजन .......
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति।
ReplyDeleteजब तक साँस तब तक आस बनी रहती है ..साथ छूटा तो लगता है जैसे सब कुछ खत्म लेकिन फिर भी दुनिया कहाँ रूकती है ..चलती रहती हैं ..
ReplyDelete..... मनोभावों के सार्थक प्रस्तुति ..
बहुत सुंदर नूतन जी....
ReplyDeleteदिल को छू गयी आपकी लिखी ये पंक्तियाँ....
अनु
नमस्कार नूतन जी
ReplyDeleteकैसी है आप
आज कई दिनों बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ बेहतरीन और अच्छी रचना...अंतिम पंक्तियाँ तो बहुत ही अच्छी लगीं... शानदार प्रस्तुति
इस भावपूर्ण कविता के लिए आभार।
ReplyDeleteबहुत ही भावपूर्ण रचना है।
ReplyDeleteएक आस की किरण भी बहुत बड़ा सहारा होती है.
ReplyDeleteसुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति.
शब्दों की टीस दिल को छूती है.
मैंने आपकी इस पोस्ट पर टिपण्णी लिखी थी.
ReplyDeleteयहाँ दिखलाई नही पड रही है.