तुम बिना कोई शिकायत के चुपचाप मेरे पास बरसों से आ कर बैठ जाते हो .. मेरे अन्तरंग समय में मुझसे बहुत बतियाते हो तुम मेरे सच्चे साथी हो | भावनाओं के हर भंवर में लहरों के उतार चढाव संग मेरे सुख दुःख के साथ ही तुम भी बहे जाते हो| तुम मेरे सच्चे साथी हो| छोड़ गए जो तन्हा मुझको दुःख भरे मेरे तन्हा पल में मन की ताकत बन जाते हो तुम तुम मेरे सच्चे साथी हो | कागज़ की श्वेत चादर पर सफर में संग उड़े जाते हो आंशुवो को नीलिमा में ढाल भावनाओं के महल बनाते हो .. तुम मेरे सच्चे साथी हो| जो बात किसी से कह ना पाऊं वो तुम समझ ही जाते हो मुझे छोड़ गया निर्मोही बन उसका तुम विद्रोही मेरा साथ निभा जाते हो तुम मेरे सच्चे साथी हो .. सेवा में – “ मेरी कलम “ ४-१२-२०११ १५ :५१ |
जीती रही जन्म जन्म, पुनश्च- मरती रही, मर मर जीती रही पुनः, चलता रहा सृष्टिक्रम, अंतविहीन पुनरावृत्ति क्रमशः ~~~और यही मेरी कहानी Nutan
Sunday, December 4, 2011
तुम मेरे सच्चे साथी हो --
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wah !!! bahut sundar
ReplyDeletewww.poeticprakash.com
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
ReplyDeleteआपकी भावपूर्ण प्रस्तुति मन को भाव विभोर
ReplyDeleteकर रही है.आपकी कलम कमाल की सेवादार
है नूतन जी.शब्दों और भावों की प्रस्तुति
लाजबाब है.अनुपम प्रस्तुति के लिए बहुत
बहुत आभार.
बेहद खुबसूरत लिखा है |
ReplyDeleteसच्चे साथी के सारे गुण समेटे हुए हैं आपकी कलम!
ReplyDeleteवाह...तो कलम ही आपकी वह साथी है,सुंदर शब्द रचना और भाव समर्पित किये हैं अपने...यूँही लिखती रहे आपकी कलम !
ReplyDeleteनितांत अकेलेपन में भी तुमने मुझे आवाज़ दी है
ReplyDeleteअपने होने का एहसास दिया है
मुझे मुझसे मिलाया है
- सत्य की पहचान दी है
मृतक होने से बचाया है ....
कागज़ की श्वेत चादर पर
ReplyDeleteसफर में संग उड़े जाते हो
आंशुवो को नीलिमा में ढाल
भावनाओं के महल बनाते हो ..
तुम मेरे सच्चे साथी हो|
सही कहा है ...सुन्दर अभिव्यक्ति
जो बात किसी से कह ना पाऊं
ReplyDeleteवो तुम समझ ही जाते हो
मुझे छोड़ गया निर्मोही
बन उसका तुम विद्रोही
मेरा साथ निभा जाते हो
तुम मेरे सच्चे साथी हो..... बहुत ही खुबसूरत और कोमल भावो की अभिवयक्ति.....
वाह!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
वाह! कलम का साथ इतने आयाम लिए!
ReplyDeleteलेखन अकेलेपन में साथ देता है, सुन्दर रचना।
ReplyDeleteखूबसूरत पंक्तियां .सुन्दर भाव...अच्छे शब्द संयोजन के साथ सशक्त अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसंजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
कलम एक सच्चा साथी ... सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteसुन्दर भावयुक्त रचना...
ReplyDeleteसादर
लिखने वाले से अगर कलम का साथ छूट जाये .....तो उसका जीवन समाप्त ही है
ReplyDeleteबहुत उम्दा शब्दों में लिखी गई मन की अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर प्रविष्टि...वाह!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर......शानदार अभिव्यक्ति|
ReplyDeletenutan ji bahut hi sundarta se ek sacche sathi k gun ko dhal diya aapki kalam ne......badhai
ReplyDeletebahut hi sunder abhibykti . abhar
ReplyDeletevah....badhai
ReplyDeleteBeautiful expression Nutan ji.
ReplyDeletesach kaha....is jaisa saccha saathi kahin aabhasi duniyan me bhi dhoondhne se na milega....aur aabhasi duniya se rishta bhi isi ko mukhiya bana kar kayam kiya ja sakta hai. :)
ReplyDeletesunder kriti.
छोड़ गए जो तन्हा मुझको
ReplyDeleteदुःख भरे मेरे तन्हा पल में
मन की ताकत बन जाते हो तुम
तुम मेरे सच्चे साथी हो |
Shandar Prastuti.
बहुत सुंदर...कलम जैसा सच्चा और अहसासों को समझने वाला साथी कहाँ मिलेगा...
ReplyDeleteजो बात किसी से कह ना पाऊं
ReplyDeleteवो तुम समझ ही जाते हो
मुझे छोड़ गया निर्मोही
बन उसका तुम विद्रोही
मेरा साथ निभा जाते हो
तुम मेरे सच्चे साथी हो
vah bahut sundar
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! बधाई!
ReplyDeleteडॉ० गैरोला अच्छी कविता के लिए आपको बधाई और शुभकामनाएं |
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