उनकी गुफ्तगू में साजिशों की महक आती रही ,
शहर-ए-दिल में फिर भी उनकी सूरत नजर आती रही |
शिकायतों के पुलिंदे बांध लिए थे मैंने ,
मुंह खोला नहीं कि उनको ऐब नजर आने लगे |
पीठ पे मेरे खंजरो की साजिशें चलती रही,
मौत ही मुझ को अब बेहतर नजर आने लगी |
यकीनन यकीन का खून बेहिसाब बहने लगा ,
लहू अश्क बन नजरों में जमने लगा |
झूठे गुमान भी जो वो मुझमे भरने लगे ,
चाह कर भी मौत मुझको मयस्सर न होने लगी |
कोई जा के कह दे मेरी मौत से कि वो टल जाये ,
कि जीने के तरीके अब मुझे भी आने लगे है ||
......*....* डॉ नूतन गैरोला .. १७ / ०५ / २०१०.......*...*....
बहुत सुन्दर ..सकारात्मकता लिए हुए ...अच्छी रचना ...
ReplyDeleteआशा है आपने त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने को अन्यथा नहीं लिया होगा :):)
धन्यवाद संगीता जी , वाहवाही ही नहीं सही जानकारी भी मिले - जो आपने दी ..स्वागत है उन टिप्पणियों का भी जो मार्गदर्शन करती हो |
ReplyDeleteकि जीने के तरीके अब मुझे भी आने लगे है । सकारात्मक सोच से ज़िन्दगी आसान हो जाती है। आप का सदैव मेरे ब्लाग पर स्वागत है। खुद को बिन बुलाई महमान मत कहें। मै तो जो सही लगे वहाँ बिन बुलाये ही चली जाती हूँ। धन्यवाद। शुभकामनायें।
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसुन्दर रचना है नूतन जी.
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति ... नूतन जी
ReplyDeleteसीधे सीधे जीवन से जुड़ी रस रचना में नैराश्य कहीं नहीं दीखता मुझे। एक अदम्य जिजीविषा का भाव लिए रचना में इस भाव की अभिव्यक्ति " जीने के तरीक़े अब मुझे भी आने लगे हैं!" में हुई है। बहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteया देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
नवरात्र के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
दुर्नामी लहरें, को याद करते हैं वर्ल्ड डिजास्टर रिडक्शन डे पर , मनोज कुमार, “मनोज” पर!
!....अति सुंदर रचना!...एक जोश,एक सकारात्मक सोच, हार न मान ने मानसिकता!...बहुत कुछ संघर्षमय जीवन से संबधित है नूतनजी!
ReplyDeleteडॉ. नूतन गैरोला जी!
ReplyDeleteआपकी रचना कि पहली पंक्ति ने ही
मन मोह लिया!
--
"उनकी गुफ्तगू में साजिशों की महक आती रही!"
--
वाकई में कमाल की अभिव्यक्ति है!
सुंदर रचना नूतन जी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया!
ReplyDeleteवाह बहुत ही खूब उम्दा गज़ल .कितनी भी बेवफा क्यों ना हो जिंदगी ..जिंदगी ..जिन्दा दिली का नाम है जो आपकी गजल में परिलक्षित हो रही है ..आपको कोटि कोटि शुभ कामनाएं ..
ReplyDeleteसादर नमन !!!
बहुत खूब नूतन जी
ReplyDeleteकोई जा के कह दे मेरी मौत से कि वो टल जाए,
ReplyDeleteकि जीने के तरीके अब मुझे भी आने लगे हैं
आत्मविश्वास से परिपूर्ण सुंदर पंक्तियां।
हिंदयुग्म में मेरी ग़ज़ल पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए आपके प्रति हार्दिक आभार।
अपकी यह पोस्ट अच्छी लगी।
ReplyDeleteजानवरों में लड़ाई पर टिप्पणी के लिए आभार!
उनकी गुफ्तगू में साजिशों की महक आती रही. वाह!!!! लाजजवाब
ReplyDeletelovely lines !
ReplyDelete