जीती रही जन्म जन्म, पुनश्च- मरती रही, मर मर जीती रही पुनः, चलता रहा सृष्टिक्रम, अंतविहीन पुनरावृत्ति क्रमशः ~~~और यही मेरी कहानी Nutan
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
जय माँ दुर्गा जी की!विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
अतिसुन्दर भावाव्यक्ति
बहुत अच्छी प्रस्तुति। सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते।भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोsस्तु ते॥महानवमी के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!चिठियाना-टिपियाना संवाद
सृष्टिक्रम तो चलता ही रहता है.
is kram ka ant nahi!sundar shabdon mein ek akatya satya prastut karne hetu aabhar!regards,
श्रष्टि में क्या स्थिर है? पुनरावृति तो एक प्रकृति का नियम है..सुन्दर भावाभिव्यक्ति ....
sabhi ko dhanyvaad... shubhdiwas...
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
ReplyDeleteजय माँ दुर्गा जी की!
ReplyDeleteविजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
अतिसुन्दर भावाव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteसर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोsस्तु ते॥
महानवमी के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
चिठियाना-टिपियाना संवाद
सृष्टिक्रम तो चलता ही रहता है.
ReplyDeleteis kram ka ant nahi!
ReplyDeletesundar shabdon mein ek akatya satya prastut karne hetu aabhar!
regards,
श्रष्टि में क्या स्थिर है? पुनरावृति तो एक प्रकृति का नियम है..सुन्दर भावाभिव्यक्ति ....
ReplyDeletesabhi ko dhanyvaad... shubhdiwas...
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