नारियल के पेड़ के नीचे समुद्री रेत पर घोंघों संग बीन रही थी कुछ शंख आकार और कभी कभी ले लेती थी कोई क्लिक जब सूरज की रौशनी मे सागर सी अथाह भारी आवाज में वह मछुवारा बोला न खींचो तस्वीर मेरी आपकी सभी तस्वीरें काली पड़ जाएंगी|…….. हँस पड़ी थी मैं पर कुछ न बोला बस मुश्किल से दो पल, चार कदम चले थे साथ और तेज क़दमों से मैंने रुख बदल लिया था दूर दूर मीलों दूर पहाड़ों की ओर अपने गाँव को…… वर्षों पहले छोड़ आई थी सब कुछ उस तट पर उस अजनबी काले आदमी को, वो नारियल के पेड़ वो रेत वो समुद्र, नाविक और नौकाएं …… पर साथ आ गयी थी मेरे, अनजाने में ही उन सब चीजों की यादें और एक निश्छल हँसी किन्तु एक ऐसी टीस जिसने चुपके से इन सबके बीच अपनी जगह बना ली थी जी रही है मेरे भीतर ................. ----------------------------------------------------------------- मानवीय भावनाएं चमड़ी के रंग से कहीं ऊपर होती है| ---- ~nutan~ |
बहुत सुन्दर भाव....
ReplyDeleteयादों की मीठी टीस.......
अनु
बहुत सुंदर, शुभकामनाये
ReplyDeleteयहाँ भी पधारे
दिल चाहता है
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_971.html
यादों के साथ आई टीस...
ReplyDeleteमानवीयता की पहचान!
बेहद सुन्दर प्रस्तुतीकरण ....!!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार (17-07-2013) को में” उफ़ ये बारिश और पुरसूकून जिंदगी ..........बुधवारीय चर्चा १३७५ !! चर्चा मंच पर भी होगी!
सादर...!
कोई कोई बात किसी व्यक्तिि की जहन में घर कर जाती है ।
ReplyDeleteसुंदर ।
यादिं की टीस फिर मुखरित होगई..
ReplyDeleteकिन्तु एक ऐसी टीस
ReplyDeleteजिसने चुपके से
इन सबके बीच
अपनी जगह बना ली थी
जी रही है मेरे भीतर ................
बहुत ही भावमय रचना.
रामराम.
बहुत सुंदर, शुभकामनाये
ReplyDeleteयहाँ भी पधारे
http://saxenamadanmohan.blogspot.in/
आशा बनाए रखें ..
ReplyDeleteशुभकामनायें !
तस्वीरें काली पड़ती हैं,
ReplyDeleteकोई स्मृति धूप दिखा दो,
बन्द पड़ी एकल कुढ़ती हैं,
पुनः उन्हें अनुरूप बना दो।
सुंदर अहसास.....
ReplyDeleteवाह... उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDelete''मानवीय भावनाएं चमड़ी के रंग से कहीं ऊपर होती हैं .''..यही एक पंक्ति आपकी कविता के भाव स्पष्ट करती है ..जिससे आप विचलित हुईं .....और शायद इस कविता का जन्म भी ..... अच्छी कविता ...!!
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति ।।।
ReplyDeleteउन सब चीजों की यादें और एक निश्छल हँसी
ReplyDeleteकिन्तु एक ऐसी टीस.....
aakhir hum sab insaan hi to hain....
स्मृतियों का भावपूर्ण कैनवाश
ReplyDeleteबहुत गहन और सुंदर अनुभूति
उत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी पधारें भी सम्मलित हों
केक्ट्स में तभी तो खिलेंगे--------