Thursday, August 1, 2013

अधूरी स्वीकृति



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अधूरी स्वीकृति
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खिलता क्यों है फूल
टूट जाने के लिए
पंखुड़ी पंखुड़ी
बिखर जाने के लिए
रह जाते है शेष
कुछ कांटे कुछ ठूंठ
एक विराम की तरह|
कि जिससे पहले की गाथा
एक कोमल युग की कहानी थी
और जिसके बाद ..................... |
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कभी जान पाया है कोई कि उस पुष्प की अभिलाषा क्या थी ?
हर फूल की अपनी अपनी एक कहानी
कोई दलदल का कमल, तो कोई रात की रानी
कोई प्युली तो कोई बुरांस
कोई गुलमोहर तो कोई पलास
कोई चंपा कोई कचनार
कोई गेंदा तो कोई गुलाब ...........
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तुम किस किस को बूझोगे किस किस को सुनोगे?
यह प्रश्न तो मेरे लिए है, तुम्हारे लिए एक सहज उत्तर ..
फिर भी साथ बने रहने के लिए
सुनो! उस सूखी बावड़ी के किनारे
जहाँ कोमल इच्छाएं करती हैं आत्महत्या
हम एक बागीचा लगा देते है सभी कोमल फूलों का
कि तुम हाथ में लिए रहो उनका लेखा जोखा
थोड़ी काली मिट्टी और बुरबुरी खाद
फिर बैठ कर साथ उन फूलों के रंगों पे गीत गायेंगे
बाटेंगे उनका सुख दुःख
उन्हें गले लगा अपनाएंगे
अपने मन में उठे कोलाहल को दबाये
पूर्ण स्वीकृति के साथ
हम बावड़ी के किनारे खिलते फूलों के साथ
अपने पलों को मह्कायेंगे|
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शर्त इतनी है मेरी
कि मुझमें फिर कभी मत ढूंढना
विराम से पहले का
वह कोमल गुलाब|
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निगोड़ी तेरी नौकरी भी न सौतन, दुश्मन ... ~nutan~

12 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना.

    रामराम.

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  2. प्रभावित करती रचना .

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  3. बहुत खुबसूरत रचना..

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  4. यदि अभिलाषा पूरी ना हो तो अक्सर रूखापन आ ही जाता है
    सुन्दर

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  5. वाह....
    बहुत सुन्दर.....

    अनु

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  6. अति सुन्दर.
    बेहतरीन रचना...
    :-)

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  7. कोई प्युली तो कोई बुरांस
    कोई गुलमोहर तो कोई पलास
    कोई चंपा कोई कचनार
    कोई गेंदा तो कोई गुलाब
    .........
    सबका अपना अपना वजूद है ..हमेशा कहाँ रहता है ....
    ..अपने परिवेश से बांधती सुन्दर प्रस्तुति !.

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  8. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(3-8-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

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  9. Srishti ki har rachnaa apne aap me sampuran ....sundar rachna

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  10. सुन्दर भाव ..............हर किसी की अपनी कहानी........

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  11. मन की सुन्दर अभिव्यक्ति

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  12. बहुत सुब्दर भाव .. पुष्प की अभिलाषा सच में कोई नहीं जान पाता ... बस अपने आप से रेलटे करते हैं सब ..

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