वो युगक्रांति के नायक , चमड़ी से गहरा और रंगों से ऊपर एक विस्तृत युगविचार .. पृथ्वी में पृथ्वी से वो ... वो मिट नहीं सक्ते .. जी रहे है दुनियाँ के तमाम रंगों के साथ और जब तक दुनियां में रंग है .. हर रंग में वो है.......…… ओ मेलिनिन के काले भूरे कणों तुम सदा तत्पर रहोगे एक देह की सुरक्षा के लिए सूरज की जलाने वाली तपिश में मनुष्य की जरूरत के लिए, और याद दिलाते रहोगे कि अभी रंगभेद की आग को बुझाने वाला एक साधू पैगाम दे गया है मानवता का प्रेम का .…….नतमस्तक नेल्सन .... ~nutan~ |
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (08-12-2013) को "जब तुम नही होते हो..." (चर्चा मंच : अंक-1455) पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
नेल्सन मंडेला जी को समर्पित बहुत ही बेहतरीन रचना...
ReplyDeleteshrdhanjali
ReplyDeleteइसी मोड़ से गुज़रा है फिर कोई नौजवाँ और कुछ नहीं
वाह बहुत बढिया लिखा...
ReplyDeleteनेल्सन मंडेला को शत-शत नमन...
ReplyDeleteनमन है युग पुरुष को ...
ReplyDeleteशान्ति और अहिंसा का महायोद्धा।
ReplyDeletehe was a really nice person.. may his soul rest in peace..
ReplyDeletePlease visit my site and share your views... Thanks
बहुत सुन्दर श्रद्धांजलि !
ReplyDeleteनया वर्ष २०१४ मंगलमय हो |सुख ,शांति ,स्वास्थ्यकर हो |कल्याणकारी हो |
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