हमने अँधेरा देखा है
एक अहसास बुराई का
ये दोष अँधेरे का नहीं
ये दोष हमारा है
हमने क्यों मन के कोने में
इक आग सुलगाई अँधेरे की
खुद का नाम नहीं लिया हमने
बदनाम किया अँधेरे को.......
एक पक्ष अँधेरे का है गुणी
कुछ गुणगान उसका तुम करो
अँधेरा है तो दीया भी है
अँधेरे सा निर्विकार प्रेम तुम करो |
अँधेरे की प्रीति दीये के संग
दीये के अस्तित्व को लाती है
फिर मिटा देता है खुद को ही
और दीये की रौशनी छाती है ......
पूजा न जाता दीया मगर
बलिदानी न होता तम अगर
खो गया वो उपेक्षित और उपहास लिए ,
गुमनामी के अंधेरो में |
तुम तम सम रोशनी के लिए
कुछ त्याग करके तो देखो
एक चिंगारी सुलगा के तो देखो
तुम दीप जला-के तो देखो
अँधेरा मिटा के तो देखो |
डॉ नूतन गैरोला
Animated Diwali Graphics : Forward This Picture
दीयों के इस पर्व दीपावली की आप को हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteये दीप पर्व आपके और आपके परिजनों के जीवन को खुशियों के प्रकाश से भर कर दे
सुन्दर भाव!
ReplyDeleteसुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल 'समीर'
सुन्दर रचना!
ReplyDeleteमन को छू गई!
बहुत खूबसूरत सन्देश देती रचना ....
ReplyDeletebahut bahut hi achhi rachna
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना.. अँधेरे के दर्द की लाजवाब प्रस्तुति...दीपावली की हार्दिक शुभ कामनायें
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और शानदार रचना ! बधाई!
दीपावली पर सम्यक् संदेश। अंधेरा बनना सहज है,उसके लिए कुछ करना नहीं पड़ता। दीप बनना एक चुनौती।
ReplyDeleteसुन्दर पोस्ट .बधाई !
ReplyDeleteअँधेरे का दर्द उकेरती इस कविता के भावपक्ष का नयापन लेखिका की व्यापक सोंच का परिचायक है.
ReplyDeleteAApke udgar bahut hi satik hain.Full of emotion. Good MOrning.
ReplyDeleteदिल मे उतर जाने वाले भाव्……………बेहद उम्दा रचना। गज़ब की बात कह दी।
ReplyDeleteअंधेरे और रोशनी के अंतर्संबधों को नई व्याख्या देती एक खूबसूरत और संवेदनशील प्रस्तुति. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
Hamari iss baar Dipawali nahi hae per aap sabhi ko Diwali ki hardik shubhkamnatein..
ReplyDeleteAur bauht dhanyavaad apke comments k liye, I really appreciate it.
bahut ni sundar post dr.nootanji
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी रचना के लिये मुबारक बाद।
ReplyDeleteनूतन जैसा कि मैने पहले भी लिखा है इस कविता के सन्दर्भ में कि जब सभी जगह रोशनी की ही चर्चा छिड़ी हो, ऐसे में अंधेरे की हिमाकत बहुत हिम्मत की बात है| और अंत में 'एक चिंगारी' का उद्घोष इस कविता को पूर्णता भी प्रदान करता है| फिर से बधाई स्वीकार करें|
ReplyDeleteदिवाली की बहुत देर से शुभकामनाएं दे रहा हूं। बैकग्राउंड सफेद होने की वजह से कविता पढ़ने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। हो सके तो इस पर तत्काल ध्यान देकर इसे ठीक करें।
ReplyDeleteरोहित जी !! एक बात आपने लिखी है कि मेरी कविता सफ़ेद बेक्ग्राउंड में दिख नहीं रही हैं ..तो मुझे तो वह काला बेकग्राउंड दिख रहा है जिसमे सफ़ेद फोंट हैं .. पहले भी किसी ने यही शिकायत की थी... फिर मेरे देखने और पाठकों के देखने में ये अंतर क्यों आ रहा होगा.. फिर भी प्रयास करती हूँ.. धन्यवाद. इस ओर ध्यान दिलाया. .और आगे भी कुछ गडबड दिखता हो तो जरूर इत्तला कीजिये |
ReplyDeleteसभी ब्लोगर साथियों को धन्यवाद और शुभकामनायें ..|
ReplyDeletesundar deepon se jagmagti rachna. bahut achha laga..aabhar
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