घोर तमस में यामिनी के, मौन क्यों रह गया अकेला, लोचनों से पिघल स्वप्न क्यों अश्रु बन बहे जा रहे हैं? सन्नाटों की दामिनी का नाद विरहणी ह्रदय में है, राग भीने क्यूं विकल मन में तेरे याद आ रहे हैं ? दूर अम्बर से उतर उर में तेरे पद्चाप आ रहे हैं|
पतझड़ से है व्यथित हिमआच्छादित सुप्त वसुधा फाल्गुन की अंगडाई में, बसंत सुगन्धित आ रहा है गुनगुने स्पर्श से धूप की, वसुधा का मन पिघला रहा है छू कर रूपमती को जैसे चिरनिंद्रा से जगा रहा है| स्वपनलोक की घाटियों से निकल पुष्प मुकलित हो रहे हैं दूर अम्बर से उतर उर में तेरे पद्चाप आ रहे हैं |
वादियों में प्रेमगीत अब फाग बन कर गूंजेंगे जन-जन अब अबीर गुलाल संग चिरप्रेम रंग में रंगेंगे| मधुरमिलन की आस में धरा खिल श्रृंगाररस से भर गयी है पुष्पों से लकदक हरित बनैला, सुरचाप रंग से रंग गयी है | फूलों के मधु को व्याकुल भवरें गुनगुन गुनगुन गा रहे हैं, दूर अम्बर से उतर उर में तेरे पद्चाप आ रहे हैं | मिट गया विरह, मिलन ह्रदय स्पन्दनों को बढ़ा रहा है , निस्तब्धता के मौन लय में, प्रेम मदिला सुर लगा रहा है| शांत ठहरे लघु पलों में युगों का प्रेम गुन रहा है श्वांसो पर झंकृत कोलाहल में मनपंछी पुलकित झूल रहा है|
दूर अम्बर से उतर उर में तेरे पद्चाप गा रहे हैं | सृष्टि के सृजन का अब मधुमाधव आ गया है, पतझड को मिटाने सजीला बसंत आ गया है ||…. डॉ नूतन गैरोला …५ जनवरी २०१२ |
बहुत बढ़िया!
ReplyDeleteबसन्तोत्सव की शुभकामनाएँ!
आनन्द बिराजे अब नभ पर
ReplyDeleteसही कहा है आपने। बसन्तोत्सव की शुभकामनाएँ। धन्यवाद।
ReplyDeleteदूर अम्बर से उतर उर में तेरे पद्चाप गा रहे हैं |
ReplyDeleteसृष्टि के सृजन का अब मधुमाधव आ गया है,
पतझड को मिटाने सजीला बसंत आ गया है ||….सुंदर पंक्तियाँ
बसन्तोत्सव की शुभकामनाए,....
वाह!!!!!बहुत बेहतरीन रचना,लाजबाब प्रस्तुति,
NEW POST.... ...काव्यान्जलि ...: बोतल का दूध...
वाह!!!!!बहुत बेहतरीन रचना,लाजबाब प्रस्तुति,
ReplyDeleteNEW POST.... ...काव्यान्जलि ...: बोतल का दूध...
सुन्दर प्रस्तुति …………बसंतोत्सव की शुभकामनायें।
ReplyDeletesundar kavy rachna....
ReplyDeletesundar...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteआभार !
बसंतोत्सव पर लाजवाब रचना।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteघूम-घूमकर देखिए, अपना चर्चा मंच ।
लिंक आपका है यहीं, कोई नहीं प्रपंच।।
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आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार के चर्चा मंच पर लगाई गई है!
sundar abhivyakti....
ReplyDeleteआमीन ... आपको बसंत और फाग की शुभकामनाएं ... मधुर गीत के साथ आगत का स्वागत किया है आपने ..
ReplyDeleteसजीला , रंगीला वसंत - भावपूर्ण गीत - शुभ कामनाएँ .
ReplyDeletebahut achchi prastuti.dhanyavad.
ReplyDeleteवसंत के पावन आगमन की हार्दिक बधाई!....मनुष्य-जीवन हंमेशा वसंत ऋतु से भरपूर रहे यही ऋतुराज से प्रार्थना!...बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना, ख़ूबसूरत भावाभिव्यक्ति , बधाई.
ReplyDeleteमनमोहक शब्दों के साथ चित्र भी सम्मोहक है.
ReplyDeleteऋतुराज वसंत का सुन्दर मनमोहक प्रस्तुति.....
ReplyDelete...सच मधुमास का यह मोहक रूप हमारे मन को कितना तरंगित कर जाता है..
ऋतुराज वसंत का सुन्दर मनमोहक प्रस्तुति..बधाई ...शुभकामनाए
ReplyDeleteवाह!!!!!बहुत अच्छी प्रस्तुति, सुंदर रचना
ReplyDeleteMY NEW POST ...सम्बोधन...
▬● वादियों में प्रेमगीत अब फाग बन कर गूंजेंगे ... जन-जन अब अबीर गुलाल संग चिरप्रेम रंग में रंगेंगे| ... मधुरमिलन की आस में धरा खिल श्रृंगाररस से भर गयी है ... पुष्पों से लकदक हरित बनैला, सुरचाप रंग से रंग गयी है | .......... // रचनात्मक/अलंकारिक शब्दों के इस्तेमाल के साथ ही इस कविता को अपने स्तर से उठते देख पाता हूँ ....... लिखने वाले अब भी हैं लेकिन इस तरह के अंदाज में लिखने वाले कम होते जा रहे हैं........ अच्छा लगा नूतन तुमको ऐसे लिखते देख...... :))
ReplyDeleteसमय मिले तो मेरा ब्लॉग है... ● (Meri Lekhani, Mere Vichar..)
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