Monday, June 10, 2013

मुझे मेरी पहचना चाहिए -



और मुजरा चलता रहा” 

मेरी लिखी एक कहानी से ….

meena-kumari-wallpaper

 

शहर की बस्ती में

जब झिलमिलाने लगती है लाल बत्तियां

छन से घुंघुरू गीत गाते हैं

तेरे लिए ...

रातों की स्याही से लिख देती हूँ

चांदनी के उजालो में

कुछ दर्द कुछ मुहब्बत

तेरे हिस्से के .....

के गीत किसी दिन बन पड़े

के गुनगुनाये सारा जहाँ

दिन के उजालों में

मेरे लिए ....

अबकी आओ तो न जाने के लिए आना

जाओ तो संग मुझे लेते जाना

आना तो समझ के यह आना

के मुझे मेरी पहचान चाहिए

मुझे तेरा नाम चाहिए ........………………….. ~nutan~



9 comments:

  1. सार्थक पोस्ट .शुभकामनायें
    <a href="http://www.facebook.com/HINDIBLOGGERSPAGE”>हम हिंदी चिट्ठाकार हैं</a>

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    1. आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा आज मंगलवार ११ /६ /१ ३ के विशेष चर्चा मंच में शाम को राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी वहां आपका स्वागत है

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  2. बहुत सुन्दर.बहुत बढ़िया लिखा है .शुभकामनायें आपको .

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  3. बहुत प्यारी भावनाओं की थिरकन।

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  4. अबके आओ तो न जाने के लिए आना......
    काश......

    कोमल भाव..
    अनु

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  5. वाह अंतिम पंक्तियों में कमाल का लिखा है आपने बहुत खूब ...

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  6. बहुत प्रभावी ..
    अपने नाम की तलाश तो सभी को होती है ... दिल को छूती है रचना ...

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