मेरी लिखी एक कहानी से ….
शहर की बस्ती में
जब झिलमिलाने लगती है लाल बत्तियां
छन से घुंघुरू गीत गाते हैं
तेरे लिए ...
रातों की स्याही से लिख देती हूँ
चांदनी के उजालो में
कुछ दर्द कुछ मुहब्बत
तेरे हिस्से के .....
के गीत किसी दिन बन पड़े
के गुनगुनाये सारा जहाँ
दिन के उजालों में
मेरे लिए ....
अबकी आओ तो न जाने के लिए आना
जाओ तो संग मुझे लेते जाना
आना तो समझ के यह आना
के मुझे मेरी पहचान चाहिए
मुझे तेरा नाम चाहिए ........………………….. ~nutan~
सार्थक पोस्ट .शुभकामनायें
ReplyDelete<a href="http://www.facebook.com/HINDIBLOGGERSPAGE”>हम हिंदी चिट्ठाकार हैं</a>
आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा आज मंगलवार ११ /६ /१ ३ के विशेष चर्चा मंच में शाम को राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी वहां आपका स्वागत है
Deleteबहुत सुन्दर.बहुत बढ़िया लिखा है .शुभकामनायें आपको .
ReplyDeleteसार्थक,सुंदर प्रस्तुति,,,
ReplyDeleterecent post : मैनें अपने कल को देखा,
बहुत प्यारी भावनाओं की थिरकन।
ReplyDeleteअबके आओ तो न जाने के लिए आना......
ReplyDeleteकाश......
कोमल भाव..
अनु
वाह अंतिम पंक्तियों में कमाल का लिखा है आपने बहुत खूब ...
ReplyDeleteबहुत प्रभावी ..
ReplyDeleteअपने नाम की तलाश तो सभी को होती है ... दिल को छूती है रचना ...
खूबसूरत आरजू
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