Saturday, July 23, 2011

रात में अक्सर - डॉ नूतन डिमरी गैरोला



  lonely_happy_hour_1_f3a20916b904c21588c93bdceb89f816

रात में अक्सर
मेरी खिडकी से
एक साया उतर
कमरे की हवा में
घुल जाता है|
आने लगती है
गीली माटी की गंध
और आँखे मेरी फ़ैल जाती है छत पर
जहाँ से अपलक निहारता है मुझे
मेरा वृद्ध स्वरुप|


in_an_elegant_house_f3a20916b904c21588c93bdceb89f816


रात में अक्सर
जब लोग घरों के दरवाजे बंद कर देते हैं
तब खुलता है एक द्वार
कलमबद्ध करता है
कुछ जंग खाए
कुंद दिमाग के जज्बात
और मलिन यादों के चलते
जो अक्सर रह जाते हैं शेष |


winter_flowers_f3a20916b904c21588c93bdceb89f816


रात में अक्सर
याद आता है वो सफर
जो सफर नहीं था
था एक ठहराव खुशियों का
खिलखिलाती ताज़ी कुछ हंसी
जैसे किसी काले टोटके ने रोक ली हो
और मुस्कुराता चेहरा
धूमिल हो डूब जाता है
आँखों के सागर में |


summer_waves__2_a5515a9c051b5ae694e80009199b3a9a


रात में अक्सर
जब शिथिल हो कर
गिर जाती है थकान
शांत बिस्तर में
रात उंघने लगती है तब 
पर तन्हाइयां उठ कर जगाने लगती हैं
और कानाफूसी करती है कानों में  
नीलाभ चाँद देर रात तक
खेला करता तारों से|


moonlit_western_art_southwestern_twilight_mountains_stained_glass_painting_night_moon_stars_abac0bee3549d0b476a4cae7ff83b293


द्वारा - डॉ नूतन डिमरी गैरोला
सभी चित्र नेट से … उनका आभार जिनकी ये तस्वीरें हैं ..

40 comments:

  1. जब हम अकेले होते हैं तो हमारे विचार, हमारे चिंतन बहुत स्पष्ट होते हहैं।

    ReplyDelete
  2. bhut sundar....ek chalchitra sa kheench raha hai saamne..kalpnao ka....laazwaab:)

    ReplyDelete
  3. रात का सृजीय एकांत, भूत और भविष्य दोनों ही वर्तमान से बतियाने आ जाते हैं तब।

    ReplyDelete
  4. मन से की गई अभिव्यक्ति.

    ReplyDelete
  5. रात से जुड़ी सारी अभिव्यकतियां एक सच की ओर ईंगित करती हैं
    जो हममें से किसी न किसी के साथ पैबंद है।

    ReplyDelete
  6. बहुत ही खूबसूरती से रात के एकांत को आपने बहुत ही सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया है आपने

    ReplyDelete
  7. यथार्थ परक चिंतन .....अति सुन्दर रचना ............शुभकामनाएँ..

    ReplyDelete
  8. रात में अक्सर
    जब शिथिल हो कर
    गिर जाती है थकान
    शांत बिस्तर में
    रात उंघने लगती है तब
    पर तन्हाइयां उठ कर जगाने लगती हैं
    और कानाफूसी करती है कानों में
    नीलाभ चाँद देर रात तक
    खेला करता तारों सेद्य

    भावों की गहनता कविता को श्रेष्ठ बना रही है।

    रात
    जब सारा आलम
    सोता है
    कोई गीत व्यथा के
    गाता है।

    ReplyDelete
  9. बहुत खूबसूरती से लिखा है जो शांत मन से अक्सर याद आता है ...

    बहुत अच्छी प्रस्तुति

    ReplyDelete
  10. रात के सन्नाटे में मन में उभरने वाली अनकही अनसुनी बातों के खामोश आहटों का सूक्ष्म चित्रण...बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

    ReplyDelete
  11. खुबसूरत रचना....
    सादर...

    ReplyDelete
  12. बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति| आभार|

    ReplyDelete
  13. बहुत खूब ... नए नए बिम्ब हैं इस लाजवाब नज़्म में .. रात में अक्सर शिथिल हो कर गिर जाती है थकान ... बहुत ही कमाल का बिम्ब है ...

    ReplyDelete
  14. यही विचार तो नव सृजन को जन्म देते हैं।

    ReplyDelete
  15. खुबसूरत रचना....
    सादर...

    ReplyDelete
  16. bahut sundar........par akaelapan jhalkta hain...

    ReplyDelete
  17. रात्रि के एकांत में अंतर्मन अपने आप से मिलता है, जो दिन के कोलाहल में संभव नहीं होता, आपने इस कविता में नए प्रतीकों का प्रयोग कर एक सुंदर शब्द चित्र प्रस्तुत कर दिया है... आभार!

    ReplyDelete
  18. .

    Beautiful imagination but kinda scary as well !

    Nice creation !

    .

    ReplyDelete
  19. शब्दों एवं चित्रों का बेहतरीन सामंजस्य ! सुंदर प्रस्तुति ,
    आभार............
    पी.एस. भाकुनी

    ReplyDelete
  20. Beautiful as always.
    It is pleasure reading your poems.

    ReplyDelete
  21. बेहद गहन भाव संजोये है रचना…

    ReplyDelete
  22. सुन्दर तस्वीरों के साथ सुसज्जित गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! प्रशंग्सनीय प्रस्तुती!

    ReplyDelete
  23. बेहद खूबसूरत ,भावपूर्ण नज्में !
    आभार !

    ReplyDelete
  24. गहन भावों का समावेश लिये बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

    ReplyDelete
  25. अदभुत भावपूर्ण प्रस्तुति.
    विचारों का द्वंद और भावों की गहनता छाप छोडती है मन पर.

    अनुपम अभिव्यक्ति के लिए आभार.

    ReplyDelete
  26. रात का एकांत
    और मन की भावनाएं
    बहुत ही प्रभावशाली शब्दों में
    अभिव्यक्त हो उठीं हैं ....
    अनूठा सृजन .

    ReplyDelete
  27. SHABDON OR CHITRON KO BEJOD SANGAM DIKHAYI DETA HAI....
    BAHUT ACHI LAGI APKI YE RACHNA.............................

    JAI HIND JAI BHARAT

    ReplyDelete
  28. बहुत सुन्दर ...

    ReplyDelete
  29. अनुपम अभिव्यक्ति गहन प्रस्तुति...सुन्दर

    ReplyDelete
  30. बिलकुल यही मनोदशा रहती है इंसान की.
    यथार्थपरक सुन्दर संवेदनशील रचना...

    ReplyDelete
  31. बहुत सुन्दर सन्देश देती हुई रचना!

    ReplyDelete
  32. सुन्दर रचना, खूबसूरत अंदाज़

    ReplyDelete
  33. रात के सन्नाटे में गहन उठते एहसास

    ReplyDelete
  34. क्या कहूँ , आपकी इस नज़्म ने कई कोलाज़ बना दिये है मन के कनवास पर .. मेरे पास इस वक्त शब्द नहीं है .. कुछ कहने के लिये .. बस एक मौन ...इस सुन्दर कविता को धीरे धीरे पिघलते हुए देखने के लिये ..

    आभार

    विजय

    कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html

    ReplyDelete
  35. नूतन जी, बहुत गहरी बातें कह दी आपने कविता के माध्‍यम से। अभिभूत हूं पढकर।

    ------
    कम्‍प्‍यूटर से तेज़!
    इस दर्द की दवा क्‍या है....

    ReplyDelete

LinkWithin

Related Posts with Thumbnails