जीती रही जन्म जन्म, पुनश्च- मरती रही, मर मर जीती रही पुनः, चलता रहा सृष्टिक्रम, अंतविहीन पुनरावृत्ति क्रमशः ~~~और यही मेरी कहानी Nutan
Sunday, September 12, 2010
एक मीठी नींद के लिए आगाज.... Dr Nutan Gairola
एक मीठी नींद के लिए आगाज
जब चाँद गगन पर आने लगे ,
और रात का अँधेरा शर्माने लगे |
तुम एक नीलिमा सी बन फूलों की,
मेरे सपनो में आ गुनगुनाने लगे |
पलकों को परियां झुलाने लगे ,
मीठी निंदिया हिलोरे लगाने लगे ||
.........by nutan
एक मीठी नींद के लिए आगाज .have a sound n soothing sleep.. Good Night...Dr Nutan Gairola...
feb 13 - 2010
फोटो सौजन्य -गूगल इमेज
पोस्टेड इन ब्लॉग ओं १२ / ०९/ २०१० ...१२ : २५
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सुन्दर रूमानी कविता !
ReplyDeleteब्लॉग का कलएवर भी पसंद आया और कविता भी..
ReplyDeleteक्या बात है...चार पंक्तियाँ ही नींद के आगोश में ले जाने के लिए ये काफी है|
ReplyDeleteशुभदिवस अरविन्द जी !! धन्यवाद
ReplyDeleteधन्यवाद पंकज जी..
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeletemithi aagaj... sundar likha hai..
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