Friday, June 17, 2011

चंद्रग्रहण /Lunar Eclipse- 15 june 2011 –My Clicks My Photos- Dr Nutan Gairola


                 

                     आज के दिन

                                                      ( सोलह जून २०११ )

 

आज के दिन न मुझसे पूछो तुम

कितने अंधेरों ने बढ़ कर

मेरे दिन को सियह रातों में बदल दिया है|

मेरी खुशियों में पसर गए हैं कितने

दुःख भरे आंसू के बादल…….

आज के दिन छा रहे

घोर मायूसियों के सायों ने-

सितम के कितने नस्तरों से

मुस्कुराहटों का हक बींध लिया है|

आज के दिन पूर्णिमा को

ग्रहण के अंधेरों ने

बिन अपराध निगल लिया है|

हो कितना भी घना अँधेरा

 न हो निराश, वादा है

मिटा कर इन अंधेरों को,

चमकुंगा मैं फिर फलक पर

और मिल जाऊंगा धरा से

पाकिजा चांदनी बन कर |

 

     DSC_1672

 

                आज की रात जब शुरू हुवी थी, पहाड़ पर चाँद यूं चढ़ने लगा| कल रात का ग्रहण भुला कर और चांदनी बिखेरता हुवा| दिन भर की धुप से झुलसा हुआ जंगल, शीतल चांदनी में नहा कर मुस्कुराने लगा, लहराना लगा |

 

       DSC_1670



                                                        डॉ नूतन गैरोला




                                            पन्द्रह जून २०११



१५ जून की अर्धरात्रि को पूर्णमासी के दिन चंद्रग्रहण लगा था| मैंने कुछ तस्वीरें खींचीं थी| अगर किसी ने यह नजारा ना देखा हो तो  मैं उनमें से कुछ तस्वीरें यहाँ शेयर कर रही हूँ| पहली तस्वीर मैंने ००:१२ बजे से आखिरी १:३५ पर २ बजे पूर्ण चंद्रग्रहण था| मैंने देखा की चाँद पर बाई ओर से ग्रहण बढता हुआ दाई ओर फैलता गया और पूरी छाया ने चाँद को घेर लिया किन्तु ऐसा भी आभास हुवा कि इस बीच जब चाँद पर पूरी छाया थी तीन बार चाँद पर दाहिनी ओर से हल्का उजाला फ़ैल गया ..फिर बायीं ओर से अँधेरा .. ऐसा क्रम चल रहा था .. २ बजे बिलकुल अँधेरा था और उसके बाद मैं भी सोने चली गयी| ००:१२ से २:०० बजे तक के कुछ फोटो जो मेरे खींचे हुवे हैं…  


                  DSC_1577 

                                                  ००:१२ पर चाँद  .. बायीं ओर से फैलती छाया

                  DSC_1585 
                            
                                                                    00: १७ पर


                   DSC_1591 

                                                             ००:३७ पर लगभग 

                     DSC_1604 

                                                                   १:१५ पर


                         DSC_1615

                                                             चाँद नहीं दिखा १:२५ 

                        
                                            


                            DSC_1617
                           
                                          दाहिनी ओर से बढते प्रकाश में चाँद कभी हल्का भूरा सा दिखता था|
फिर दो बजे चाँद नहीं दिखा और शायद उसके बाद गहरा ग्रहण लगा हो|


                                         सभी तस्वीरें मेरी खींची - डॉ नूतन डिमरी गैरोला 
                                                       शटर १/४००० से १/२००

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                                                    नाईटमोड में खींची फोटों   

     
                                    सभी तस्वीरें मेरी खींची – डॉ नूतन डिमरी गैरोला            

 

27 comments:

  1. बिन अपराध निगल लिया है|

    न हो निराश, वादा है

    मिटा कर इन अंधेरों को

    चमकुंगा मैं फलक पर

    और मिल जाऊंगा धरा से

    पाकीजा चांदनी बन कर |
    bahut sundar abhivyakti.aur sabhi photo bahut sundar.
    vaise chandrma bhi kam doshi nahi hain is prakriya ke.daksh prajapati kee kai putriyan inki dharmpatni hain aur ye ek ke sath hi magn rahte the to auron ko kasht pahunchta tha isliye daksh prajapati ke shrapvash inhe ye jhelna hota hai.

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  2. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...सभी फोटो बहुत सुन्दर..आभार

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  3. एक दुखी की बेचैनी और चांद का आश्वासन वाबत कविता। पुराने समय में विश्वास था कि राहू और केतु नामक दो ग्रह जो राक्षस था अमर होना चाहता था उसे दो भागों में राहू और केतु में विभक्त कर दिया गया था । कथा सत्य हो या न हो किन्तु आज अनेक ऐेसे राहू केतु बेधडक घूम रहे है और अनेक चांद भयभीत अपनी चांदनी को समेटे छुपे बैठे है। ग्रहण के चित्र देखे गृहण भी देखा था।

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  4. चित्रों के साथ कविता भी बहुत सुन्दर ..

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  5. सुंदर हैं सभी चित्र....बहुत बढ़िया

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  6. बहुत खूब। कविता, फोटो और जानकारी की इस त्रिवेणी में नहलाने का शुक्रिया।

    ---------
    ब्‍लॉग समीक्षा की 20वीं कड़ी...
    2 दिन में अखबारों में 3 पोस्‍टें...

    ReplyDelete
  7. कविता, फोटा और जानकारी की त्रिवेणी में नहलाने का श‍ुक्रिया।

    ---------
    ब्‍लॉग समीक्षा की 20वीं कड़ी...
    2 दिन में अखबारों में 3 पोस्‍टें...

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  8. सुंदर छायांकन किया है,
    आभार

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  9. bahut hi khoobsurati andaaj mein aapne aasman ko jami par utaar diya ....aabhar

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  10. चाँद पर लगा ग्रहण इतना खूबसूरत है कि 'शनि' 'राहु' 'केतु' भी लज्जित हो जायें.. :)

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  11. मेरा बिना पानी पिए आज का उपवास है आप भी जाने क्यों मैंने यह व्रत किया है.

    दिल्ली पुलिस का कोई खाकी वर्दी वाला मेरे मृतक शरीर को न छूने की कोशिश भी न करें. मैं नहीं मानता कि-तुम मेरे मृतक शरीर को छूने के भी लायक हो.आप भी उपरोक्त पत्र पढ़कर जाने की क्यों नहीं हैं पुलिस के अधिकारी मेरे मृतक शरीर को छूने के लायक?

    मैं आपसे पत्र के माध्यम से वादा करता हूँ की अगर न्याय प्रक्रिया मेरा साथ देती है तब कम से कम 551लाख रूपये का राजस्व का सरकार को फायदा करवा सकता हूँ. मुझे किसी प्रकार का कोई ईनाम भी नहीं चाहिए.ऐसा ही एक पत्र दिल्ली के उच्च न्यायालय में लिखकर भेजा है. ज्यादा पढ़ने के लिए किल्क करके पढ़ें. मैं खाली हाथ आया और खाली हाथ लौट जाऊँगा.

    मैंने अपनी पत्नी व उसके परिजनों के साथ ही दिल्ली पुलिस और न्याय व्यवस्था के अत्याचारों के विरोध में 20 मई 2011 से अन्न का त्याग किया हुआ है और 20 जून 2011 से केवल जल पीकर 28 जुलाई तक जैन धर्म की तपस्या करूँगा.जिसके कारण मोबाईल और लैंडलाइन फोन भी बंद रहेंगे. 23 जून से मौन व्रत भी शुरू होगा. आप दुआ करें कि-मेरी तपस्या पूरी हो

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  12. बहुत सुन्दर चित्र! कमाल का फोटोग्राफेर हैं आप और मेरा मानना ये है कि आपको नेशनल जोग्राफी चैनेल पर ये शानदार तस्वीरें देनी चाहिए! जितनी ख़ूबसूरत और शानदार चित्र उतनी ही सुन्दर कविता! आपकी लेखनी को और फोटोग्राफी के लिए सलाम!

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  13. तस्वीरें जितनी उत्कृष्ट हैं कविता भी उतनी ही सार्थक और सराहनीय है |बहुत बहुत बधाई डॉ० नूतन जी |

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  14. कविता में चित्र दिखाई दे रहे हैं और चित्रों में कविता।
    काले चांद को भी आपने कैमरे में कैद कर लिया...अद्भुत।

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  15. Rare pics !
    Great presentation !

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  16. बहुत मोहक तस्वीरें और अंधेरों में आशा जगाती यह कविता भी बेजोड़ ! हार्दिक बधाई नूतन जी ।

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  17. कमाल की रचना और जलवाब चित्र ... बहुत कुछ है आज तो आपके ब्लॉग पर ... बधाई इन खूबसूरत चित्रों पर ....

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  18. निगले जाते और मुक्त होते चाँद के उत्कृष्ट चित्र और सुंदर रचना.

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  19. इस बार कविता से ज्यादा तारीफ आप की फोटोग्राफी की करनी होगी| ऐसे फोटो लेना वाक़ई आसान नहीं है|

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  20. डॉ. नूतन जी,

    १५ से १६ जून का सफर चाँद और आपकी कविता .....वाह क्या बात है।

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

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  21. अति सुन्दर चित्रों के साथ आपकी भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत
    आभार.आपने मेरे ब्लॉग पर आकर मेरा उत्साह वर्धन किया, इसके लिए भी आभार.मैं भी यूरोप के टूर पर गया हुआ था,कल ही लौटा हूँ.आपके ब्लॉग पर देरी से आने के लिए क्षमा चाहता हूँ.आपके चित्रों ओर कविता से मन प्रसन्न हो गया.विलक्षण 'नूतनता' का अनुभव हुआ.

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  22. आपकी भावपूर्ण प्रस्तुति और चित्रों का संयोजन मन को मोह लेने वाले हैं

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  23. कविता और चित्र दोनों बहुत अच्छे लगे..
    तस्वीरें कमाल की ली हैं आपने

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