Saturday, January 26, 2013

गीत नीले नीले – डॉ नूतन डिमरी गैरोला

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वो गीत  

जिसमे नायिका को थमा दिया था तुमने फूल,

लाल गुलाब का गुच्छा...................

सपनो के गलियारे से उतर आती

पलकों के आँगन में

और तुम्हारे सिरहाने पे

रात के अंधियारे में

माथे को छूती 

जीवन से भरपूर

सुनहरी परी ...............

तुमने जाना कि

लाल गुलाब पा वह मुस्कुराई होगी ....

देखा भी नहीं तुमने

कि अनायास ही

कितने तीखे शूल

उस अंधियारे में भेद गए थे

उसके जिस्म को

और लहू उसका

टप टप

बूँद बूँद

टपकता रहा था

नीला नीला ......

पर तुम्हारी उंगलिया

बुनती रही

उस गीत की फिसलनपट्टी

जिस पर फिसल कर नायिका उभर आई थी जमीं पर  ........

और तुम हो कि

लिखे जा रहे हो,

एक धुन है तुम्हें

कि गीत पूरा कब हो 

शायद तुम अभी भी अनजान हो

कि कहाँ से उतर रही है

तुम्हारे कलम से

गुजरने वाली    

उन पन्नो पे

शब्दों के मोती मोती रचने वाली  

वो स्याही

नीली नीली सी .........

.

तुम्हारे गीत जिस दिन पूरे होंगे, नीली स्याही भी उसी पल ख़त्म होगी| ,,,,,,,,,,,,,, डॉ नूतन डिमरी गैरोला

 

10 comments:

  1. सच सपनो में जीना और हकीकत में जीने में में कितना बड़ा अंतर होता है
    बहुत बढ़िया रचना ..

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  2. बहुत सुन्दर रचना प्रस्तुति!
    गणतन्त्रदिवस की शुभकामनाएँ...!

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  3. बहुत सुंदरअभिव्यक्ति,,,
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
    recent post: गुलामी का असर,,,

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,,,
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
    recent post: गुलामी का असर,,,

    ReplyDelete
  5. गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामना !
    जितनी सुन्दर बात है, उतने भले प्रतीक |
    मन भावुकता को लिये कहता तथ्य सटीक ||

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  6. कल्पना की गहन संवेदना, रंग में छिपे हुये भाव।

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  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    वन्देमातरम् !
    गणतन्त्र दिवस की शुभकामनाएँ!

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  8. बहुत सुंदर रचना , लाजवाब
    सुंदर भावपूर्ण रचना
    काफी अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर

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  9. सचमुच नीला-नीला आभास। मोहक कविता।

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